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शहर कांग्रेस पर दबंग टाईप नेता हावी, पीड़ित नेता बना रहे हैं पार्टी से लगातार दूरी

ग्वालियर। शहर कांग्रेस पर दबंग टाईप नेता हावी हैं। आलम यह है अगर इनकी सहमति के बिना किसी पदाधिकारी की नियुक्ति होती है, तो उसे ये पीसीसी पर दबाव बनाकर निरस्त करवा देते हैं। ऐसे में पीड़ित नेताओं की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है और लाचार पीसीसी मूकदर्शक बनी बैठी है। खबर है कि दबंगों से पीड़ित नेता मिशन 2023 से पहले पार्टी को बाय बाय कह सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों पीसीसी ने कांग्रेस नेता योगेंद्र सिंह तोमर को भारत जोड़ों यात्रा का जिला सह प्रभारी बनाकर ग्वालियर भेजा था। लेकिन तोमर की बदकिस्मती थी कि पहली ही बैठक में जिलाध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा से उनका मुंहवाद हो गया। बाद में इसी विवाद के चलते उन्हें अनुशासनहीनता के आरोप में पद से हटा दिया गया। क्योंकि जिलाध्यक्ष समर्थक योगेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ लगातार कांग्रेस कार्यालय में हंगामा कर उन्हें पद से हटाए जाने के लिए दबाव बना रहे थे। इतना ही नहीं खुद जिलाध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा ने तय समय सीमा में योगेंद्र सिंह तोमर पर कार्रवाई नहीं होने की दशा में कांग्रेस कार्यालय आना छोड़ दिया था। कहा जाने लगा था कि वे कोप भवन में चले गए हैं। हालांकि विवाद खत्म कराने के वरिष्ठ नेताओं द्वारा भरसक प्रयत्न किए गए। एक बार तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, लहार विधायक तथा पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने दोनों नेताओं को भोपाल बुलाकर मामला शांत कराने की कोशिश भी की। इसके कुछ फोटो भी सामने आए थे। बाबजूद इसके जिलाध्यक्ष डॉ शर्मा नहीं माने, वे किसी भी सूरत में तोमर को हटवाना चाहते थे। आखिरकार मजबूरन पीसीसी को जिलाध्यक्ष के सामने घुटने टेकने पड़े और योगेंद्र सिंह तोमर के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटाना पड़ा। जिलाध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा का कहना है कि योगेंद्र सिंह तोमर को अनुशासनहीनता के आरोप में भारत जोड़ों यात्रा के जिला सह प्रभारी के पद से हटाया गया है। कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया पर योगेंद्र सिंह तोमर का स्ती फ़ा भी वायरल हुआ, जिसके अनुसार कांग्रेस नेता योगेंद्र सिंह तोमर ने विवाद के तुरन्त बाद अपने पद से स्तीफ़ा दे दिया था। हालांकि सीधा संवाद न्यूज़ पोर्टल इस वायरल स्तीफे की पुष्टि नहीं करता। इस एपिसोड के बाद बुधवार को जिलाध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा कोप भवन से निकले और पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत भारत जोड़ों यात्रा के नवनियुक्त प्रभारी पूर्व सांसद रामसेवक बाबूजी के साथ बैठक ली, जो महज 15 मिनिट में सिमट गई। विश्वसनीय सूत्रों की माने तो कांग्रेस के एक पूर्व प्रत्याशी ने अपना टिकिट बचाने के फेर में जिलाध्यक्ष डॉ शर्मा और कांग्रेस नेता तोमर के बीच हुए विवाद को हवा दी थी। खैर शहर कांग्रेस में पहली बार ऐसा नहीं हुआ है जब पार्टी से जुड़े किसी नेता की नियुक्ति निरस्त की गई हो। इससे पहले कांग्रेस नेता आनंद शर्मा भी दबंगई का शिकार हो चुके हैं। इतना ही नहीं एक मामले में पीसीसी चीफ का तय कार्यक्रम तक बदलवा दिया गया था। क्योंकि पीसीसी चीफ जिस नेता के घर जाना चाहते थे, उस नेता से पार्टी के पड़ोसी नेता की नहीं पटती थी। बहरहाल मामला किसी स्थानीय नेता की नियुक्ति निरस्त कराने का हो या किसी दिग्गज नेता के कार्यक्रम को तय करने का, पार्टी के कुछ रसूखदार नेताओं की मर्जी के बिना कुछ भी संभव नहीं है। ऐसे में कई कांग्रेसी नेता मिशन 2023 से पहले पार्टी को अलविदा कह सकते हैं।